मायन चिकित्सालय
भारतीय वैकल्पिक चिकित्सा शोध और प्रशिक्षण संस्थान,
प्लाट नंबर ९१, आदिवासी लेआउट, नवनीत नगर, अमरावती रोड, वाड़ी, नागपुर - 440023 (महाराष्ट्र, भारत)
मायन चिकित्सा विशेषज्ञ: एम. डी. हिरेखन से मार्गदर्शन, परामर्श और चिकित्सा
उद्यम पंजीकरण संख्या: UDYAM-MH-20-0004804
लोकहितकारी सामग्री ई-प्रकाशन संस्थान: ई-जॉब सेंटर, नागपुर से संलग्न : पंजीयन संख्या : MH/2018/0208686 (नीति आयोग, भारत सरकार)
दैनिक मायन
* सोमवारीय मायन वार्ता * मंगलवारीय मायन शोध * बुधवारीय मायन कहानी * गुरुवारीय मायन रोजगार * शुक्रवारीय मायन भूषण * शनिवारीय मायन चिकित्सा * रविवारीय मायन शुद्धि *
* दिनांक: ०९ अक्तुम्बर २०२४ * दैनिक अंक भाग : ००४६७ * प्रकाशक: ई-जॉब सेंटर, नागपुर *
बुधवारीय मायन कहानी: सामान्य सत्य आधारित घटनाक्रम को बयाँ करती कहानियाँ
(दिनांक: ०९ अक्टूम्बर २०२४, नवनीत नगर, वाड़ी, नागपुर, महाराष्ट्र, भारत।)
(सुचना: कहानी को पढने के लिए उपर कहानी के शीर्षक पर क्लिक अथवा टैप करें। कहानी अलग पीडीऍफ़ फाइल के रूप में ओपन हो जाएगी। अथवा आप कहानी को नीचे भी पढ़ सकते है।)
*निम्नलिखित कहानी को पढ़ने से पहले कुछ ज़रूरी निवेदन*
बुनियादी भाषा शिक्षा और भाषा चिकित्सा के लिए अवांतर वाचन पाठ के लिए यहाँ कुछ कहानियों का समावेश किया गया है। इन कहानियों को पढ़ कर आप अपने अवांतर वाचन के सराव को पूरा कर सकते है। इन सभी कहानियों के विषय चिकित्सा से ही संबंधित है। उनके पठन के वक्त आपको ज़रूर ये एहसास आयेगा की आपने अपने जीवन से सम्बंधित सामान्य सत्य आधारित घटनाक्रम को ही पढ़ा है। ई-जॉब सेंटर द्वारा यहाँ पर प्रकाशित की गई ये कहानियाँ एक साचेबद्ध तरीके से लिखी गई है, जिसमे मुख्य पात्र को एक ही नाम 'मुकेश' से संबोधित किया जा रहा, जो सामान्य सत्य आधारित घटनाक्रम को बयाँ करने का दायित्व ले रहा है। पाठक को प्रथम निवेदन है, की वे अज्ञानतावश रही त्रुटियों के लिए हमें क्षमा करें और कहानी का पठन शुरवात से लेकर अंत तक करें, तांकि कोई घटनाक्रम श्रोता के ध्यान से न छूटें। यह कहानी एक सामान्य सत्य आधारित घटना क्रम के ऊपर रचित है। पर सिर्फ नाम, स्थल और काल के बदलाव के साथ इसे सामान्यजनों के बुद्धि के प्रशिक्षण के लिए प्रस्तुत कीया जा रहा है। श्रोता से अंतिम निवेदन की, वो कहानी के किसी भी अनुक्रम अथवा भाग अथवा शब्द का खंडन अथवा लोप अथवा भेद व्यक्तिगत रूप से स्पष्ट न करें। प्रकाशन, पुस्तमुद्रण, ध्वनिमुद्रण, भाषांतरण और उनमे किसी भी बदलाव के सर्वाधिकार ई-जॉब सेंटर, नागपुर के पास सुरक्षित है। कहानी के लेखन के समय उपयोग में लाई गई जानकारी और सन्दर्भ ओपन सोर्स इन्टरनेट मीडिया और व्यक्तिगत सर्वेक्षणों से लिए गए है। ई-जॉब सेंटर : व्यस्त रहे – स्वस्थ रहे !
मुकेश एक मैकेनिकल ड्राफ्ट्समैन (कहानी)
लेखक: एम. डी. हिरेखन
प्रकाशक: ई-जॉब सेंटर, नागपुर।
दिनांक: ०७ जनवरी २०२४, रविवार।
सर्वाधिकार सुरक्षित © लेखक आदि, मातृ संस्थान मध्य, प्रकाशक अन्त्य-पुनर्प्रति, संशोधन और अनुवाद।
इस कहानी का नाम है, मुकेश एक मैकेनिकल ड्राफ्ट्समैन। मुकेश अंशुमन बोराडे एक साधारण मैकेनिकल ड्राफ्ट्समैन है। उसकी उम्र २६ साल है। उसकी तकनिकी शिक्षा गवर्नमेंट आईटीआई नागपुर से मैकेनिकल ड्राफ्ट्समैन ट्रेड में हुई है। उसके परिवार में वो और उसकी माता यहाँ नवनीत नगर, वाड़ी, नागपुर, महाराष्ट्र, भारत में रहते है। अपनी तकनिकी शिक्षा को ज़रूरी आईटीआई, अप्रेंटिसशिप और ईपीपी ट्रेनिंग के क्रमानुसार पूराकर वो अब अपने एक मित्र के साथ व्यापारिक अनुबंध में उसके निजी फर्म में सहयोगी के रूप में कार्य करता है। यहाँ पर उसका काम मैकेनिकल इंजिनियर से निर्देश लेना, निर्देशानुसार उनके निर्माण या मरम्मत के लिए स्केच, नोट्स, डाटा या नमूने से मशीनों, संयंत्रो, यांत्रिक घटकों, उपकरणों आदि के चित्र तैयार करना, उनके लिए आवश्यकता के अनुसार आयामों की गणना करना, इंजीनियरिंग ड्राईंग्स निकालना, कंप्यूटर एडेड ड्राफ्टिंग करना, मशीन डिज़ाइन सामग्री का उपयोग करना, ड्राफ्टिंग करते मैट्रोलोजी और बुनियादी मैकेनिकल इंजीनियरिंग सिद्धांतों का अवलंबन करना, आदि है। एक प्रशिक्षित मैकेनिकल ड्राफ्ट्समैन के तौर पर मुकेश की महीनेभर की आमद कुछ २५ से ३० हजार रुपयों तक हो जाती है।
मुकेश अपने एक मित्र के निजी फर्म में उसके तकनिकी सहायक के रूप में काम करता है, जो एक उम्दा मैकेनिकल इंजिनियर है। उसका फर्म तरह तरह की मशीन उत्पादों को बाजार में प्रस्तुत करता है। मैकेनिकल इंजिनियर के द्वारा प्रस्तावित उत्पाद की बुनियादी संकल्पना को मुकेश मैकेनिकल ड्राफ्टिंग कर मानचित्रों में परिवर्तित करता है। इन मानचित्रो को इंजीनियरिंग ड्राईंग और कंप्यूटर एडेड ड्राफ्टिंग के साथ पूरा कर, मानचित्रों को मैकेनिकल इंजिनियर को सौपता है। इंजिनियर इन मानचित्रों में ज़रूरी जाँच को पहले पूरा करता है। मानचित्रों के एकदम सटीक होनेपर इंजिनियर इन उत्पादनों को अपने वर्कशॉप में तैयार करता है। उत्पाद के एकदम सही बनने पर इंजिनियर इसे पेटंट कराता है। और एक निजी उत्पादक कंपनी को बाजार की ज़रूरत के नुसार बिक्री के लिए भेजता है। इस प्रक्रिया में उत्पादन कंपनी इंजिनियर को उसके उत्पाद के ज़रूरी विपणन और वितरण में खासा मदत करती है। वो अपने मैकेनिकल ड्राफ्टिंग के काम में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की संकल्पनाओं में गणितीय आयामों का एकदम सही इस्तेमाल कर उत्पादों के एकदम सटीक मानचित्रों को तैयार करता है। जिस बजह से मैकेनिकल इंजिनियर के उत्पादों की संरचना भी एकदम सुयोग्य होती है। इससे मैकेनिकल इंजिनियर को अपने व्यवसाय में काफ़ी मुनाफा भी होता है।
मुकेश और मैकेनिकल इंजिनियर हमेशा उनके फर्म से फ्रीलांसिंग में काम करते है। बाजार और औद्योगिक कंपनियों मार्फ़त मशीन और मशीन पार्ट्स की आवश्यकता होते, उनके पास कई वर्कऑर्डर्स की भरमार होती है, जिनपर काम करते वे दोनों हमेशा व्यस्त होते है। हाल फ़िलहाल में उसके अपने क्षेत्र के किराना व्यवसायी ने एक अपने किराना सुपर मार्केट स्टोर के लिए ऐसी वेंडिंग मशीनों की मांग की है, जो ग्राहकों की ज़रूरत के अनुसार उन्हें ज़रूरी साजोंसामान को अपने आप मुवैया करने में एकदम लायक हो। वो शिकायत कर रहा है, की उसके सुपर मार्केट में काम करने के लिए हमेशा लोगों की कमी उसे महसूस होती रहती है, जिस बजह से उसे खुद अपने स्टोर में कभी कभी भारी भीड़ का सामना करना पड़ता है। वो चाहता है की उसके लिए कुछ ऐसी वेंडिंग मशीनों का इजाद किया जायें, जो उसके यहाँ काम करनेवाले लोगों की कमी को पूरा कर सकें। मुकेश और मैकेनिकल इंजिनियर ने स्टोर मालिक की समस्या को ठीक से समझा है। उसकी ज़रुरतों को उसने ठिकसे निर्देशित किया है। और उन दोनों ने उसकी जरूरतों की अनुसार नई तरह की वेंडिंग मशीनों पे काम करना शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट पर काम करते मुकेश और इंजिनियर को कुछ महीनेभर का समय लगा है। उन दोनों की लगातार मेहनत से एक नई तरह की मशीन को इजाद करने ने वे कामयाब हो गए है।
मुकेश और मैकेनिकल इंजिनियर ने स्टोर मालिक की ज़रूरत के अनुसार काम कर एक नई वेंडिंग मशीन को इजाद किया है। ये एक फ़ूड ग्रेन वेंडिंग मशीन है। ये पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक है। इसपर एक डिजिटल टच स्क्रीन कण्ट्रोल पैनल है, एकदम एटीएम मशीन की तरह। इस मशीन पर ज़रूरी उत्पाद की मात्रा चुनने और उसके लिए ऑनलाइन पेमेंट करने के बाद अपने लिए ज़रूरी मात्रा में थोक और खुदरा में बेचे जाते उत्पादों, जैसे, गेहू, चावल, दालें, शक्कर, ज्वार, अन्य किराना उत्पाद, अपने आप मशीन के निचे रखें कंटेनर या पेपर बैग में निकल कर आ जाता है। इस कंटेनर के निचे इलेक्ट्रॉनिक काटा भी लगा है, जो कंटेनर में आ गिरे उत्पादों की सही मात्रा और माप की जाँच करता है। स्टोर मालिक को फ़ूडग्रेन वेंडिंग मशीन की संकल्पना एकदम पसंद आई है। शुरवात में उसने इस्तेमाल के लिए कुछ चार मशीनों को उपलब्ध कराने की मांग की है। शुरवात के कुछ हफ्तेभर इन मशीनों को इस्तेमाल करने पर स्टोर मालिक वापस आया है और उसने ऐसी ३० से अधिक मशीनों की मांग की है, जिन्हें वो अपने विभिन्न किराना उत्पादों को ग्राहकों में प्रत्यक्ष पेश करने के लिए इस्तेमाल कर सकें। ये मशीन स्टोर मालिक के लिए काफी किफ़ायती रही है। इन मशीनों की बजह से स्टोर मालिक का काम काफी हद तक आसान हुआ है। जिसके चलते वो इस जैसी मशीनों में अब और इन्वेस्ट करना चाहता है।
मुकेश और मैकेनिकल इंजिनियर ने स्टोर मालिक की ज़रूरत के हिसाब से अब तक उसे ५० से अधिक मशीनों को मुवैया किया है। इस ऑर्डर्स से मैकेनिकल इंजिनियर की फर्म को अबतक सबसे ज्यादा १ करोड़ रूपये का फ़ायदा हुआ है। इस एक वर्कआर्डर को पूरा करने पर उस किराना सुपर मार्केट स्टोर के मालिक का स्टोर लगभग मनुष्यरहित हुआ है। उसके स्टोर में प्रत्यक्ष उपलब्ध ना रहते हुए भी मशीनें अबके ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने लगी है। इन मशीनों की ग्राहकों ने भी काफी सराहना की है। इन अलग प्रयासों की प्रशंसा भी की है। अबके मुकेश और मैकेनिकल इंजिनियर को इस तरह की मशीनों के लिए बार बार पूछताछ होने लगी है। उन दोनों का अपने अन्य इंजीनियरिंग उत्पादों और मशीनी भागों के मानचित्रों और उनकी संरचनाओं पर लगातार काम शुरू है। अबके अलग अलग तरह की वेंडिंग मशीनों की मांग होने पर, उन्होंने इस तरह की वेंडिंग मशीनों की उत्पादन प्रक्रिया पर विशेष ध्यान दिया है। अबके उन्होंने स्नैक्स वेंडिंग मशीनों, कोल्ड ड्रिंक वेंडिंग मशीनों, हॉट ड्रिंक वेंडिंग मशीनों, कॉम्बो वेंडिंग मशीनों, गम्बल वेंडिंग मशीनों, अलग थोक वेंडिंग मशीनों, गरम भोजन मशीनों, ठंडें खाद्य की मशीनों, छोटी वेंडिंग मशीनों, कस्टम वेंडिंग मशीनों, विशिष्ट वेंडिंग मशीनों, आदि वेंडिंग मशीनों के उत्पादों को बाजारों में लाया है। वेंडिंग मशीन उनका सबसे सफलतम उत्पाद रहा है। इस उत्पाद ने उन्हें सबसे ज्यादा बाजार में बढ़ने के लिए मौका दिया है।
अबके मुकेश के स्थानिक भागों में तरह तरह की वेंडिंग मशीनों का प्रचालन चल पड़ा है। उसके स्थानिक भाग में अब लगभग हर जगह वेंडिंग मशीनों का इस्तेमाल के लिए उन्होंने अपने फर्म मार्फ़त उद्युक्त किया है। यहाँ इस क्षेत्र में अबके वेंडिंग मशीन पानी, भोजन, दूध, दारू, मेवे, खिलोनें, फ़ास्ट फ़ूड प्रोडक्ट्स, आइसक्रीम, चाय, सोना, जूता, चप्पल, कपडें, दवाइयां, स्टेशनरी साजोसामान, सब्जी-भाजी उत्पाद, बेकरी उत्पाद, सौन्दर्य उत्पाद, लौंड्री, फ्रीजिंग आवश्यकताओं, पालतू जानवरों के उत्पाद, कंडोम, बियर, स्टीकर, मांस, मछली, नेल पेंटिंग, रोटी, स्टैम्प, कार धोना, कार बेचना, अख़बार, बुक, फोटों, कैनवास, थ्रीडी पेंटिंग, बीमा, मालिश आदि के लिए भी अब वेंडिंग मशीनों का इस्तेमाल होने लगा है। दो सालों के भीतर यहाँ उसके क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों का स्तर एकदम बदला है। इन गतिविधियों में मशीनों का इस्तेमाल होते रहने से अबके इस क्षेत्र में व्यापारिक संस्थानों, दुकानों, कंपनियों में काम करनेवाले लोगों की संख्या एकदम कम हुई है। जिससे व्यापारी वर्ग पर पड़ता अतिरिक्त कर्मचारियों के वेतनमान का अधिक आर्थिक बोझ एकदम से कम हुआ है। इस तरह की आधुनिक युग की जरूरतों को पूरा करती सुविधाओं को प्रदान करती इन वेंडिंग मशीनों ने यहाँ के लोगों के जीवनमान में काफी बदलाव लाया है। ये मुकेश और मैकेनिकल इंजिनियर के उद्यम की एक सकारात्मक पहल अपने क्षेत्र के लिए रही है। जिसकी हर तरफ़ सराहना होने लगी है।
वेंडिंग मशीनों के प्रचलन के साथ साथ अब मुकेश और मैकेनिकल इंजिनियर ने नई एआई तकनिक का अपने मशीनों के उत्पादनों में उपयोग करने के लिए शुरवात की है। इस तकनिक को अपने मशीन उत्पादनों में उपयोग करने हेतु मुकेश ने सबसे पहले उससे सम्बंधित प्रशिक्षण भी लिया है। हाल फ़िलहाल वे दोनों एक बड़ी मोटर कार कंपनी के लिए एआई तकनिक पर चलते दो इलेक्ट्रोनिक हैण्ड मशीनों पर काम कर रहें है। ये मशीनें वे दोनों कुछ इस तरह से डिज़ाइन कर रहें है, जिससे उस कंपनी में काम करनेवालों की संख्या एकदम से कम हो जायें। कंपनी को इससे उत्पादन प्रक्रिया में सहायता हो। समय और लोगों की कम लागत उत्पादन प्रक्रिया में शामिल हो सकें। इस तरह की मशीनें यहाँ के व्यापारी वर्ग के द्वारा एकदम पसंद की गई है। ये मशीनें अबके भारत में बनने लगी है। इस एआई तकनिक को भारत में प्रचलित करने में मुकेश और इंजिनियर का विशेष हाथ रहा है। इस मशीन को जब उन्होंने भारतीय बाजार में उतारा है, इसे काफी अच्छा प्रतिसाद मिला है। इस मशीन का पेटंट करने पर मुकेश और इंजिनियर को पुरे पांच सौ करोड़ का फ़ायदा हुआ है। हर उत्पादित मशीन पर नफें का १० प्रतिशत भी मिला है। इस बात से अब मुकेश और इंजिनीयर अबके बहुत धनिक हुए है।
पर इस तरह की मशीनों के इस्तेमाल से मुकेश ने कई बदलावों को अपने आसपास महसूस किया है। एआई तकनिक पर चलती मशीनों ने यहाँ की ज्यादातर आबादी को बेरोजगार किया है। बेकार किया है। उन्हें विस्थापित किया है। यहाँ का धनिक व्यापारी वर्ग अधिक धनिक हुआ है। और गरीब कर्मचारी वर्ग अधिक गरीब हुआ है। इन मशीनों से समाज में अराजकता भी पैदा होती रही है। व्यापारी वर्ग और उनके यहाँ से निकाले गए कर्मचारियों में संघर्ष बढ़ा है। यहाँ का कर्मचारी वर्ग अब व्यापारी वर्ग के ख़िलाफ़ उठ खड़ा हुआ है। उन्होंने आन्दोलन किया है। व्यापारियों द्वारा इस्तेमाल की जाती अत्याधुनिक एआई तकनिक पर चलती मशीनों को भी उन्होंने बिल्कुल भी ना बक्शा है। उनका भी नुकसान किया है। ऐसे ही एक हिंसक आन्दोलन के दौरान मुकेश के मित्र रहें मैकेनिकल इंजीनियर की मृत्यु हुई है। अपने विविध मशीन उत्पादों से यहाँ के व्यापारी वर्ग को धनिक बनाने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका को देखकर बेरोजगार कर्मचारियों की भीड़ ने उसे उसकी कार के साथ जला डाला है। इस घटनाक्रम के बाद मुकेश एकदम अकेला हुआ है। मित्र के जाने के साथ साथ उसका फर्म भी बंद होता रहा है। अबके उसने काम करने के लिए एक अलग कंपनी का चुनाव किया है।
मुकेश अबके एक नई कंपनी, जिसका नाम मिठ्ठूबक्षी इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद नागपुर लिमिटेड है, में काम करता है। यहाँ पर वो मुख्य मैकेनिकल ड्राफ्ट्समैन माने मशीन डिज़ाइन तकनीशियन के रूप में कार्यरत है। अपने अबतक के कामों के बल पर उसका चयन इस पद पर हुआ है। वो अबके अपने मातहत काम करते अन्य मैकेनिकल ड्राफ्ट्समैन लोगों को मार्गदर्शन करता है। इसके साथ साथ अपने मैकेनिकल इंजिनियर मित्र के साथ उसने जिन मशीन प्रकल्पों पर काम किया है, उसने अभी भी उसकी आमदनी होती रहती है। अबके वो काफी सधन हुआ है। अबके उसके माँ ने उसकी शादी तय की है। पर उसे शादी करना मंजूर नहीं है। वो अपने ऑफिस की एक लड़की से प्रेम करता है। पर अपने रिश्ते को शादी में परिवर्तित करने के एकदम ख़िलाफ़ है। सधन होते अबके वो अपने रईसी ठाठ दिखाने लगा है। ये उसकी माँ को बिल्कुल भी पसंद नहीं है। वो उसे इस सन्दर्भ में बार बार टोकती भी रहती है। पर उसने माँ का सुनना जैसे छोड़ ही दिया है। अपनी नई महिला मित्र के प्रेम में वो एकदम पागल हुआ है। एक दिन ऐसे ही मुड बनने पर वो अपनी महिला मित्र के साथ एक होटल में आया है। इस होटल में उसने एक कमरा बुक किया है। होटल के रिसेप्शन पर ही एक कंडोम वेंडिंग मशीन लगी है। ये वेंडिंग मशीन भी मुकेश और मैकेनिकल इंजिनियर मित्र के द्वारा इजाद की गई है। अपनी मशीन को यहाँ पर देख वो फक्र महसूस करता है। इस बारें में वो अपनी महिला मित्र को भी बताता है। पर जब उसने उस मशीन को इस्तेमाल करने के बारें में सोचा है, तब वो हैरत में पड़ा है। पेमेंट करने के बाद भी मशीन से कंडोम नहीं निकल रहा है। ये देख महिला मित्र परेशान हुई है। और वो उसे इसतरह की मशीनों को फिरसें इजाद ना करने की सलाह देकर वहाँ से नौ दो ग्यारह हुई है। अपने द्वारा इजाद की गई इस मशीन की मौके पर निष्क्रियता को देख मुकेश का मुड जाता रहा है।
इस कहानी के सन्दर्भ में यहाँ विशेष टिपण्णी ये है की मुकेश के एक साधारण मैकेनिकल ड्राफ्ट्समैन होने के बावजूद वो अपने काम में एकदम सतर्क है। उसने अबतक कई ऐसी मशीनों का डिज़ाइन बनाया है, जिससे यहाँ के व्यापारी वर्ग का विशेष फ़ायदा हुआ है। काम की तकनीकें अद्यावत हुई है। पर मशीनों के प्रचलन से यहाँ के लोगों में बेरोजगारी और बेकारी बढ़ी है। कर्मचारीवर्ग का विशेष नुकसान हुआ है। जिससे समाज में अराजकता फैली है। सधन और गरीबों के बीच में आर्थिक दूरियाँ बढ़ी है। वे लोग अबके एकदूसरे के दुश्मन हुए जा रहें है। आयें दिनों उनके बिच संघर्ष की स्थिति बनती रहती है। सरकार उनके बिच के संघर्ष को रोकने में एकदम नाकामयाब रही है। इस दौरान महिला मित्र के छोड़कर चले जाने से मुकेश अकेला हुआ है। अबके उसने अपनी माँ के कहने पर एक अन्य लड़की से विवाह किया है। विवाह के बाद उसने लोकोपयोगी मशीनों को डिज़ाइन करने में अपना समय दिया है। सधन वर्ग के द्वारा निष्काषित कियें जाने के बाद अबके गरीब लोगों में भी व्यापारिक गुणों का विकास हुआ है। मुकेश अबके गरीब वर्ग के लोगों के लिए छोटी व्यापारिक मशीनों के डिजाइनिंग और उत्पादन के लिए प्रयासरत है। एक मैकेनिकल ड्राफ्ट्समन के रूप में उसका काम अभी भी जारी है। वो अभी भी अपने काम में व्यस्त है। (समाप्त)
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मायन चिकित्सालय
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