मायन ही आदि है। ये संपूर्ण विश्व में व्याप्त मानव जाति की, पृथ्वी के मूल निवासी की जीवन पद्धति है, जो अब तक के धर्मों, जातियों, पंथों, सम्प्रदायों के द्वारा जनित सभी भ्रामक कल्पनाओं को विराम देकर मानव के समूचे विकास के लिए कार्य करती है। मायन का अर्थ 'माँ' अथवा 'माता' से संबधित होता है। मायन का अर्थ 'समझदार' अथवा सही सोच रखने वाला होता है। कोई इन्सान जो समझदार है और सही सोच रखता है, उसे भी मायन कहा जाता है। इस पृथ्वी पर जीवन की शुरवात माँ अथवा माता के कारण हुई है, वही आदिशक्ति है, और इंसानियत का आदिचरण भी है, इसलिए मायन को जीवनतत्व, जीवनतथ्य अथवा जीवनऊर्जा भी कहते है।
मायन का अर्थ स्त्रोत संहिता (Source Code) है से भी, जो मानव और मानव के संपूर्ण कुल की जानकारी को अपने में समाहित करता है। मायन मानवों के कुल को मायन कुल कहाँ जाता है। और मायन मानवों की जानकारी को संहित करते व्यक्ति को मायन कुलदैवत कहते है।
इस सृष्टि में सब कुछ मायन तत्व से जुड़ा है। जो जातक उस एक तत्व से जुड़ जाता है, वो खुद भी “मायन” हो जाता है। कुल और कुलदैवत की मदत से जीवन तथ्य को साध्य करने के विज्ञान को मायन शास्त्र कहते है। ये शास्त्र कुल और कुलदैवत की यथोचित जानकारी उपलब्ध कराता है।
अगर जातक अपनी पूरी श्रद्धा और सबुरी से कुल और कुलदैवत की शरण में जाता है, तो वो भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक उनत्ती को पाता है। सुख दुःख के चक्र से मुक्त हो जन्मों जन्मों के पापों का नाश करता है। और मानव के सही कुल मायन को प्राप्त होता है, जो प्रकृति और प्राकृत के सहज मिलन के विज्ञान को मानता है और उसमे बाधा बनते मार की माया को मतलब मन की दोलायमान अवस्था को खत्म करता है। मायन को जीवन तथ्य भी कहते है। जीवन तथ्यों का अभ्यास कर आप मायन तत्व से परिचित हो सकते है।